चूल्हा जला और बुझा
धुंआ और आग दोनों को
देखा
खिचड़ी पकी भी और खाई
भी गयी
चूल्हा पुता भी
गोबर की लिपाई भी
हुयी
शुद्ध कर रसोई कई
बार बनायी भी
रोटी पकाई और खिलाई
भी
धुंए ने आँखें जलाई
भी
पेट की आग कई बार
भुझायी भी
चूल्हे ने ज़रुरत थी
पेट की समझाई भी
चूल्हा जला और बुझा
कईयों बार बस पुता
हुआ चुप चाप सोया भी
फुंकनी की फूंक से
बुझते बुझते बचा भी
गोबर के उपले भी
मिले
कभी बस अखबार और
कागज़ जले
दोनों पहर भी न जाने
कितनी बार पकाया
कभी खाली बर्तन की
खनक से सुलाया भी
चूल्हा जला और बुझा
आग भी देखी और धुंआ
भी !!!!!!!!!!!
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