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Friday 20 November 2015

चूल्हा



चूल्हा जला और बुझा
धुंआ और आग दोनों को देखा
खिचड़ी पकी भी और खाई भी गयी
चूल्हा पुता भी
गोबर की लिपाई भी हुयी
शुद्ध कर रसोई कई बार बनायी भी
रोटी पकाई और खिलाई भी
धुंए ने आँखें जलाई भी
पेट की आग कई बार भुझायी भी
चूल्हे ने ज़रुरत थी पेट की समझाई भी
चूल्हा जला और बुझा
कईयों बार बस पुता हुआ चुप चाप सोया भी
फुंकनी की फूंक से बुझते बुझते बचा भी
गोबर के उपले भी मिले
कभी बस अखबार और कागज़ जले
दोनों पहर भी न जाने कितनी बार पकाया
कभी खाली बर्तन की खनक से सुलाया भी
चूल्हा जला और बुझा
आग भी देखी और धुंआ भी !!!!!!!!!!!

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