कोयले की खान में दबे हज़ारों हाथ
जो हीरा खोज दे गए
न नसीब जिन्हें कफ़न कभी हुआ
जो जल के ख़ाक हुए
किसी पटाखे के कारखाने में
दीवाली में हमें रोशनी दे गए
सुबह के सूरज की रोशनी के इंतज़ार में
कितने ही मज़बूत कंधे
जो दफ़न हुए बर्फीली पहाड़ियों में
हमें प्यार की गर्माहट में महफूज़ छोड़ गए
वो जो सड़क पर सर्द रातों में खड़े
हमारी सलामती के लिए शहादत पा गए
नक्सलियों से कटे कभी
कभी आतंकी हमलों में टुकड़े हुए
कारखानों में कितनों ने अंग कटवाए
जो हमारी ज़रूरतों को हाथ दे गए
जाने कितनों ने ज़हर पिया
और हमें थैलियां सब्ज़ी लाने को पकड़ा गए
चूड़ियों से हाथ सजाये
न जाने बैठे हैं कितने अपनी आँख गवाए
मंदिरों में बैठे भगवान को महकाते
धुप अगरबत्ती बनाते
जाने कितने ही भगवान् के प्रिय हो जाते
पेट की भूख कहो या कहो मजबूरीयां
ये सब हैं जो दुनिया चलाते....!!!! नीलम !!!!
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Wednesday 30 December 2015
दुनिया चलाने वाले
Tuesday 29 December 2015
बदलता इंसान
न दिल को इतना पत्थर बना
की भावनाएं दब के मर जाएँ
न ज़िन्दगी इतनी मुश्किल बना
की तू जीना ही भूल जाए
ईश्वर के सामने न इतना गिर
की वो तेरा हाथ थामना भूल जाए
न इंसानियत को मार तू इतना
कि इंसान होते हुए भी तू शैतान कहलाये
बदला है युग बदला है तू भी
पर इतना न बदल
कि जानवर भी तुझसे बेहतर कहलाये
हुनर तुझ में है सारा
उस हुनर को न ऐसे दिखा
कि देखने वाला डर जाए
मौत की सच्चाई से भी वाकिफ तू
पर उसे खेल समझ दूसरों से ऐसे मत खेल
कि मौत भी घबरा जाए
इंसान के नाम पर ऐसे न ग़ुरूर कर
कि कायनात ही खत्म हो जाए
कुदरत को न ऐसे ललकार
कहीं उसके कहर से तेरा घर ही लूट जाए!!!!!! नीलम !!!!!
Monday 28 December 2015
रहमत तेरी
खफा क्यों मुझसे तू मेरे मौला
क्यों ज़िन्दगी भी कर रही शिकवे
नादान मैं कब से भटक रही
क्यों मेरी झोली में तेरी तस्वीर नहीं
कहाँ खोजूं तुझे
किस गली मैं जाऊं
फकीर बनी अब फिर लौटी हूँ तेरे दर पर
ख़्वाज़ा गरीब नवाज़
देख आज मेरे अश्कों ने ही मेरे चराग की
चाँद रात में लौ बुझा डाली
ऐ खुदा कर रही हूँ इकरार गुनाहों का
इस कदर सज़ा न दे की बिखर जाऊं
ज़ख्म छूपाते हर महफ़िल में मुस्कायी हूँ
ऐ खुदा तू ही बता अब क्या करूँ
अब तो हर गज़ल हर नज़्म भी उदास है
कहाँ खोजूं तुझे
कभी इस भरी महफ़िल में
तू मुझ पर भी नज़र डाल
क्यों मैं ही तन्हा रह गयी
तेरे रेहमों करम से
कभी इस बाशिंदे पर भी ऐतबार तो कर
एक परिंदा हूँ जो आसमां न छु पायी
कभी तो मेरे परों को भी तू आसमाँ नसीब कर
सरकार तू मेरा साहिल तू
रहमत रहे तेरी मैं कभी तो आबाद रहूँ
न बुझे चराग़ मेरे घर का मेरे मौला
मैं नाम ऐ मुहम्मद लिखूँ
मेरी कलम को ये रोशनाई तू दे !!!! नीलम !!!!
कर्ज़दार
कर्ज़दार मैं
कभी तेरी प्रभु
तो कभी तेरी दुनिया की
सांस तेरी है
पर चलती इस दुनिया में है
दिल तूने दिया
धड़कन भी
पर फिर भी धड़कता
किसी के दीदार से है
जीवन तेरा दिया है
पर जीना सिखाया
इस दुनिया ने
गलत सही तूने बनाया
पर समझाया यहाँ रहने वालों ने
मेरी हर चीज़ तेरी दी हुयी
पर खरीदार भी बनाये इस दुनिया ने
हर मोड़ पे तू है
पर रस्ता दिखाया
किसी इंसान ने
तू मुझ में है
फिर बस्ता कोई और क्यों मन में
क़र्ज़ तेरा भी मुझ पर
क़र्ज़ आज तेरी दुनिया का भी है
कर्ज़दार भी तो बनाया तूने है !!!! नीलम !!!!
Saturday 26 December 2015
छलनी जीवन की
Friday 25 December 2015
पीड़ा
Tuesday 22 December 2015
रोगी हवा
आज हवा ही शायद रोगी हो गयी
इसके झोंकों से पीड़ित दुनिया सारी हो गयी
कहीं हवा है बारूद भरी
कहीं खून से कतरे उडाती
आज हवा ही शायद रोगी हो गयी
न समझ आता ये रोग
दुनिया भी सारी रोगी हो गयी
कहीं रोग मतलब का
कहीं फैल रहा कटुता का
कैसे सारी इंसानियत कोमा में चली गयी
बाज़ार में न मीठी प्यार की दवाई ही बची
जाने कैसे दुनिया सारी रोगी हो गयी
कहीं फैलता रोग लोभ का
कहीं फैलती हैवानीयत
कहीं उड़ रही इज्ज़त बवंडर में
कहीं धरती के नीच फैल रहा कोढ़
पैर की बिवाई सी फट गयी
समंदर भी दर्द से कर रहा शोर
पड़ा हो जैसे दिल का दौरा
अंत आ गया मानो उसकी ओर
लाखों की आबादी मिट रही
हर एक यहाँ हो गया रोगी
किसी को हवस तो
किसी को खून की लत पड गयी
ये बीमारी लाइलाज जो हो गयी
न भय मौत का न भय मारने का
नदियाँ भी बंटवारे का हिस्सा हो गयीं
पीड़ित ये पीढ़ी हो गयी
पुरखों कि दवाई सीख की
देखो कैसे बेअसर हो गयी
आज तो हवा भी रोगी हो गयी............ !!!!!!!!!! नीलम !!!!!!!!!!!!
Saturday 19 December 2015
सुप्रभात
तोते गाते हर कोने में
पंख फैलाए नाचते मोर