Followers

Wednesday 16 December 2015

संगतराश



संगेमरमर सी देह सौम्य, लालसा से भरी
खोजती निरंतर एक संगतराश.....
जो सजाएगा, देगा रूप, बनाएगा
जो इसे सुरूप.....
वो करेगा नक्काशी इस पर
नाज़ुक सी देह को निखारेगा
कहीं घड़ेगा कोई कहानी
कहीं पिरोयेगा माया जाल
संगेमरमर सी देह महकेगी भी उसके हाथों
निरंतर उसे सजाएगा
जीवित सचेत परिपूर्ण
रश्मि सी चमकेगी, साँस लेती.......
सरोज अधरों से संगतराश को पुकारती
इक दिन .....
संगेमरमर सी सौम्य, लालसा से भरी.... देह महकेगी !!!!!!!!!! नीलम !!!!!!!!!!!!

No comments:

Post a Comment