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Tuesday 22 December 2015

रोगी हवा

रोगी हवा
आज हवा ही शायद रोगी हो गयी
इसके झोंकों से पीड़ित दुनिया सारी हो गयी
कहीं हवा है बारूद भरी
कहीं खून से कतरे उडाती
आज हवा ही शायद रोगी हो गयी
न समझ आता ये रोग
दुनिया भी सारी रोगी हो गयी
कहीं रोग मतलब का
कहीं फैल रहा कटुता का
कैसे सारी इंसानियत कोमा में चली गयी
बाज़ार में न मीठी प्यार की दवाई ही बची
जाने कैसे दुनिया सारी रोगी हो गयी
कहीं फैलता रोग लोभ का
कहीं फैलती हैवानीयत
कहीं उड़ रही इज्ज़त बवंडर में
कहीं धरती के नीच फैल रहा कोढ़
पैर की बिवाई सी फट गयी
समंदर भी दर्द से कर रहा शोर
पड़ा हो जैसे दिल का दौरा
अंत आ गया मानो उसकी ओर
लाखों की आबादी मिट रही
हर एक यहाँ हो गया रोगी
किसी को हवस तो
किसी को खून की लत पड गयी
ये बीमारी लाइलाज जो हो गयी
न भय मौत का न भय मारने का
नदियाँ भी बंटवारे का हिस्सा हो गयीं
पीड़ित ये पीढ़ी हो गयी
पुरखों कि दवाई सीख की
देखो कैसे बेअसर हो गयी
आज तो हवा भी रोगी हो गयी............ !!!!!!!!!! नीलम !!!!!!!!!!!!

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