सुप्रभात
किरणमाली कि सुनहरी
प्रकाश रेखाएं
धरा पर बिखरी हुयी
सातों सुनहरी अश्वों
पर सवार
छिटकाते अपने प्रकाश
को
चले सूर्य भगवान्
उषाकाल का उनका
भ्रमण
पर्वत पर पड़ते कदम
सोने के रथ से उतरते
दिपक चिराग
पूरब से निकलता
ज्योति प्रकाश
वनपक्षी और जलपक्षी
चहक रहे हर ओर
कल्पवृक्ष की भाँती
लहराते दरख्त
बन रहे जीवनधर
बालसुर्य की लाली
देख
मुस्काते बनफूल
सुनहरी अश्वों की
टाप से
जागे देखो पशूनाथ
किरणों के प्रकाश से
उठा सारा भूलोक
रात्रि के तिमिर को फिर
भूल.......!!!!!! नीलम !!!!!!!!!!
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