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Tuesday 9 February 2016

लड़ कर खुद से चुप हो जाती

लड़ कर खुद से चुप हो जाती

न जी पाती न मर पाती
न रो पाती न हंस पाती
घुटी घुटी सी मैं
बस लड़ कर खुद से, चुप हो जाती
कुछ भी कर लूँ
कुछ भी कह दूं
न तुझको खुश कर पाती
क्यूँ प्रभू मेरा इतना कठोर
पूजा का फल भी ना पाती
तुझे माना तुझे ही जाना
प्रेम भरा तेरा दिल जाना
फिर पत्थर सा बन क्यूँ
तूने मुख फेरा
आज खड़ी हूँ दोराहे पर
न चल पाती न रुक पाती
सांस तेरी है जीवन तेरा
न रख पाती न दे पाती
घुटी घुटी सी मैं
बस लड़ कर खुद से, चुप हो जाती !!!!!!!! नीलम !!!!!!!!!


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