बेहोश
बेहोश सी मैं
चेतना में भी अचेत
सूखे गले से पानी को
ताकती
किसी कूएं में जा गिरने
के ख्याल से डर जाती
बेहोश सी मैं
थकी हुयी बिस्तर को
ताकती
फिर किसी चिता में
जल जाने के डर से भागती
चेतनाशुन्य
भूख से तिलमिलाती
रोटी को खाने के लिए
हाथ बढाती
फिर किसी का शिकार
होने से घबरा जाती
बेहोश सी मैं
न जाने क्यूँ चेतना
में भी अचेत सी पडी रह जाती ............ नीलम.............
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