याद
उस सूर्य कि तरह दूर
से तपिश देता
कभी अपनी गर्मी से
झुलसा देता
और कभी जाड़े की
दोपहर में
गर्माहट से मुझको
सुला देता
पूनम के उस चाँद की
तरह
कभी प्यार की उस रात
की याद दिला जाता
और कभी अपनी चांदनी
में नहला
सुकून की रात दे
जाता
टिमटिमाते तारों की
तरह
कभी इधर उधर से निकल
आता
और कभी किसी टूटते
तारे सा
कहीं गहरे आसमान में
खो जाता
मुझे याद है तेरा
होना
और होकर भी न होना
आज बस एक याद है तू
पर फिर भी
आस पास मेरे संसार
में जिंदा है तू
सोचती हूँ कितनी ही
बार
कंही तुझे भी होता
होगा
कभी मेरे भी होने का
एहसास
क्यूंकि जिंदा तो
मैं भी हूँ आज !!!!!!!!!!!! नीलम !!!!!!!!!!
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