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Tuesday 12 January 2016

याद



  याद

उस सूर्य कि तरह दूर से तपिश देता
कभी अपनी गर्मी से झुलसा देता
और कभी जाड़े की दोपहर में
गर्माहट से मुझको सुला देता
पूनम के उस चाँद की तरह
कभी प्यार की उस रात की याद दिला जाता
और कभी अपनी चांदनी में नहला
सुकून की रात दे जाता
टिमटिमाते तारों की तरह
कभी इधर उधर से निकल आता
और कभी किसी टूटते तारे सा
कहीं गहरे आसमान में खो जाता
मुझे याद है तेरा होना
और होकर भी न होना
आज बस एक याद है तू
पर फिर भी
आस पास मेरे संसार में जिंदा है तू
सोचती हूँ कितनी ही बार
कंही तुझे भी होता होगा
कभी मेरे भी होने का एहसास
क्यूंकि जिंदा तो मैं भी हूँ आज !!!!!!!!!!!! नीलम !!!!!!!!!!

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