मेरे पैरों में पड़े
रह कर भी खुश हो
आते जाते सभी के
पैरों में तुम हो
बहुत छोटी हो
कभी कभी बहुत गन्दी
भी हो
कीचड़ माटी गोबर में
सनीं हो
कभी मंदिर में पड़ी
हो तो कभी ठोकरों में पड़ी हो
लेकिन फिर भी हम सब
के पैरों में पड़ी हो
मज़े की बात पैरों
में होकर भी
सबको लिए खडी हो
कीमत तुम्हारी अनमोल
है
हर किसी कि ज़रुरत
बनी हो
झुकते हैं लोग
तुम्हे अपने ही पैरों में पाने के लिए
देखो न तुम कितनी
बड़ी हो
सब गंदगी खुद में
समेटे
सबको साफ़ रखती हो
बिन तेरे न रख पाते
एक कदम
न कभी चल पाते मीलों
हम
धूप काटों से बचा
पैरों को सजा
तुम इन्ही पैरों में
पडी हो
कभी गुस्से से भरी
मेरी माँ के हाथों मुझ पर भी पड़ी हो
तो कभी मंदिरों से
चुराई गयी हो
गरीब अमीर न भेद कर
पाए
धर्म समाज न तुझे
छोड़ पाए
तुम पैरों की जूती
हो कर भी
सब को एक सामान समझ
हमेशा सब के पैरों
में पडी हो..... !!!!!! नीलम !!!!!!!!
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