Followers

Thursday 15 October 2015

कहाँ चल दिए.....



अरे बैठो न
कहाँ चल दिए
ताने कस कर मुझ पर तुम
डर तो नहीं लग रहा कहीं मैं भी न दे दूँ जवाब पलट कर
सुनो , नहीं कहूँगी कुछ
तुम्ही ने तो सिखाया है
कैसे रहना है चुप
चलो ताने ही सही
पर कुछ तो सुना रहे हो तुम
नहीं तो “और बताओ” ही कहते हो तुम
कहाँ रह गया अब हमारे बीच
कुछ ऐसा जो सुन पाओ तुम
और मैं भी लूँ सुन
वक़्त बीत गया जब
घंटों न होते हुए भी कुछ
तुम और मैं करते थे बातें
एक दूजे में होकर कहीं गुम
अब तो बस ताने रह गए
और रह गए मैं और तुम
अरे बैठो न
कहाँ चल दिए यों ताने कस कर तुम
याद है जब बेमतलब बतियाते थे
कैसे गुज़रती थी रातें और दिन
जब हर कुछ पलों में
मैं तुम्हारी हूँ
याद दिलाते थे तुम
और मैं भी तेरे प्यार को
चुपचाप पाती थी सुन
देखो न आज
हमेशा के लिए ही करवा कर चुप
चल दिए बिना कुछ कहे सुने तुम
अरे बैठो न
कहाँ चल दिए
यों ताने कस कर तुम .... !!!!!!! नीलम !!!!!!!!

No comments:

Post a Comment