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Sunday 4 October 2015

साधू



एक बार मेरे घर एक साधू आया
मेरा हाथ देख घबराया
तेरी किस्मत बुरी है कह मुझको खूब डराया
रेखाओं का टूटना भी मुझे समझाया
फिर साधू ने इक उपाय बताया
सब होगा ठीक जो तूने थोडा पैसा हमें दिखाया
ग्रह दशा और उसका उपचार भी समझाया
शनि का प्रकोप है
और राहू की दशा भी है भारी
चिंता न कर तू नादान
करदे बस मेरी ये झोली भारी
सुनता रहा मैं भी कुछ देर
फिर समझा मैं उसका खेल
पैसा है तो ग्रह बदलेंगे
नहीं तो वो मुझको ले डूबेंगे
फिर आयी बात वो याद
जो कहती है
पैसा नहीं खरीद पाया ज़िन्दगी का सार
रची है जिसने दुनिया सारी
वो ही बस बदल सकता रेखाएं हमारी
क्या ये साधू नहीं जानता
ग्रहों को भी समय चलाता
इतना आसां गर होता
तो हर कोई अमर न होता ......... !!!!!!! नीलम !!!!!!!!!!!




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