एक बार मेरे घर एक
साधू आया
मेरा हाथ देख घबराया
तेरी किस्मत बुरी है
कह मुझको खूब डराया
रेखाओं का टूटना भी
मुझे समझाया
फिर साधू ने इक उपाय
बताया
सब होगा ठीक जो तूने
थोडा पैसा हमें दिखाया
ग्रह दशा और उसका
उपचार भी समझाया
शनि का प्रकोप है
और राहू की दशा भी है
भारी
चिंता न कर तू नादान
करदे बस मेरी ये
झोली भारी
सुनता रहा मैं भी
कुछ देर
फिर समझा मैं उसका
खेल
पैसा है तो ग्रह बदलेंगे
नहीं तो वो मुझको ले
डूबेंगे
फिर आयी बात वो याद
जो कहती है
पैसा नहीं खरीद पाया ज़िन्दगी का सार
रची है जिसने दुनिया
सारी
वो ही बस बदल सकता
रेखाएं हमारी
क्या ये साधू नहीं
जानता
ग्रहों को भी समय
चलाता
इतना आसां गर होता
तो हर कोई अमर न होता ......... !!!!!!! नीलम !!!!!!!!!!!
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