डायरी के पन्नों को
आज फिर पलटा है मैंने
कहीं खुद को सवाल
करते
कहीं तुझको जवाब
लिखते
कहीं इक दूजे से
लड़ते
फिर देखा है मैंने
वो रोमांच वो बचपना
वो बेहिसाब हँसना खिलखिलाना
तुझसे कितने नए
अक्षर लिखवाना
तेरे जवाब के इंतज़ार
में
फिर नए सवालों को
खोज लाना
तेरे नाम के नीचे
खुद का नाम लिखना
तेरे हर शब्द को कई
कई बार पढ़ डालना
तेरे जवाबों में खुद
को यों देख पाना
देखा है आज
जब फिर डायरी के
पन्नों को पलटा है मैंने !!!!!!!!!!! नीलम !!!!!!!!
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