जनाज़े यों ही नहीं
चलते
साथ तुमको हमको भी
ले चलते हैं
दिखाने वो सच जिसे
जान कर भी हैं हम अनजाने
मिट्टी वो भी हो चले
और मिट्टी तुम्हे भी
होना है
बस कब्र तक तुम छोड़
आये
अन्दर तो वो अकेले
ही रह गए
फ़ना सब को होना है
इक दिन
ये जानकार भी क्यूँ
न समझ पाए
ख्वाहिशें पूरी करने
की ख्वाहिश में
हम खुदा से ही दूर
हो गए
कब्रिस्तान से नज़रें
चुरा लेते हैं
कभी कब्रों से बात
करके क्यों नहीं जानते
अल्लाह मस्जिद में
है
उनसे पूछो जो कब्र
में अल्लाह को पा गए
ज़िन्दगी शमा है जल
ही जायेगी
बस फर्क इतना है कि
ज़िन्दगी में इन्सा रोज़ मरता है
और मौत में एक बार
सही फरमाएं तो
ज़िन्दगी चलेगी
तो जनाज़े भी उठेंगे
न ज़िन्दगी थमेगी
न जनाज़े रुकेंगे
!!!!!!!!!! नीलम !!!!!!!
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