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Tuesday 8 September 2015

A PLEA TO Preserve and protect Heritage Monuments in India.....
मीनारों सी खड़ी मैं
मीनारों सी खड़ी मैं

अपना इतिहास पढ़ रही हूँ

पाया हर जन्म में बस मीनार ही तो थी

ऊँची लम्बी सीधी खड़ी
ऊँची लम्बी सीधी खड़ी

बस मीनार ही तो थी

लोग तो कई गुज़रे मेरे पास से
मेरी तारीफ़ भी सुनी मैंने
लोग तो कई गुज़रे मेरे पास से
मेरी तारीफ़ भी सुनी मैंने

पर न कोई कभी रुका न कभी किसी ने जाना

बस मेरी दिवार पर अपना प्यार पत्थर से लिख डाला
बस मेरी दिवार पर अपना प्यार पत्थर से लिख डाला

इतने नाम है मेरी दीवारों पे आज
इतने नाम है मेरी दीवारों पे आज

इश्क करने वालों के
की मेरा होना कोई देख ही न पाया

बहुतों ने थूका भी मुझ पर
मदिरालय समझ बोतले भी तोड़ी
बहुतों ने थूका भी मुझ पर
मदिरालय समझ बोतले भी तोड़ी

किसी की हवस का शिकार भी हुआ मेरा कोना
किसी की हवस का शिकार भी हुआ मेरा कोना

किसी के प्यार का साक्षी भी
किसी के अकेलेपन का हमराज़ भी बनी मैं
और कईयों के लिए मज़ाक भी

आज हर दीवार रंगी है मेरी... अनेक रंगों से
आज.... हर दीवार रंगी है मेरी... अनेक रंगों से

बस मेरा ही रंग फीका पड़ चला

इन रंगों को संजोते संजोते
इन रंगों को संजोते संजोते

जो इमारत कभी महकती थी
आज
बनकर रह गयी एक पुरानी सी स्मारक

आज
बनकर रह गयी एक पुरानी सी स्मारक

न किसी ने संजोया न संभाला
न किसी ने संजोया न संभाला

बस एक नाम दे दिया
की कभी जिंदा भी थी मैं
की कभी जिंदा भी थी मैं !!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!
नीलम .......

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