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Saturday 26 September 2015

याद आ गयी ..........



फिर तेरी याद आ गयी
दिल को समझाया भी
दिखाया सच का दरवाज़ा भी
तू बस एक ख्वाब है हसीं
ये कह कर नींद से जगाया भी
बहस की और हारी भी
बे हिसाब ये तेरी मोहब्बत ने
इश्क से भरी तेरी इन आँखों ने
मेरी न मानी एक भी
फिर तेरे तन की खुशबू ने रुलाया
तेरी साँसों का मुझसे टकराना याद आया
तू बस गया है मुझ में
दिल ने ये फ़रमाया
अब कहाँ से लाऊं तुझे
ये आँखें बस ढूंढे तुझे
दिल दिमाग हुए दीवाने
सब जान कर भी क्यों हो गए अनजाने
फिर तेरी याद आ गयी
पल पल की दूरी तुझसे मार गयी
तेरी आवाज़ के मोती
गूंज रहे हैं कानों में
चादर भी तरस गयी अब अंगड़ाई को तेरी
कैसे न रोकूँ तुझे
कंधे पे तेरे सोने  की आदत जो पड़ गयी
फिर तेरी याद आयी !!!!!!!!!!!! नीलम !!!!!!!!!!

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