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Saturday 19 September 2015

एक रानी की कहानी



एक रानी थी
रात के अँधेरे में कहीं निकल जाती थी
चांदनी से बातें करने दूर चली जाती थी
न कोई साथी था उसका
न कोई सहेली

राजा मसरूफ था अपने ही राज काज में
रानी को प्यार करता था ,
पर न जान पाया क्या था उसके मन में

रानी को भी अब आदत पड़ गयी
समय के रहते वो भी संभल गयी
अब बस उसकी चांदनी थी साथ
जिससे करती थी वो घंटो बात

भूख लगती तो खा लेती थी
नींद आती तो सो भी जाती
पर हर पल कुछ खोजती रहती
अपने आप में
आस पास हर चीज़ में
खुद को नहीं खोना चाहती थी रानी
फिर सोचा रानी ने इक दिन
खुद ही निकल पड़े कदम
राजा के संग तो रहना था
पर खुद को भी तो कुछ कहना था

जानती थी है रास्ता कठिन
राजा को बोली बस रहना मेरे संग
राजा ने भी हाथ थामा
रानी को फिर मानो लग गए पंख

आसमान की सैर करी
ढूंढे सारे रंग
समेट उनको फिर पहुंची वो घर
एक एक रंग देखा उसने
खुद को भी रंग डाला उसने

रानी अब रही न अकेली
रंगों की दुनिया हो चली उसकी
राजा देख देख मुस्काता
खुद को भी अब रानी में पाता !!!!!!!!!!!!!! नीलम !!!!!!!!!!!!!!!!!

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