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Monday 14 September 2015

बेईमान नहीं मैं

!!!!!!!!!!! मैं इतनी मुश्किल भी न थी
टेढ़ी मेढ़ी लकीरों में ही तो जीती थी
वो तो सब ही जीते हैं ,
मुझ जैसे लकीरों में उलझ जाते हैं उनका मतलब खोजने
और बाकी उन उलझी लकीरों को समझना ही नहीं चाहते,
मुझे भी तो नहीं समझ पाए....................
सुनी थी एक चर्चा अपने बारे में
पागल मुझे लोग थे कहते
गर मैं पागल ऐसी हूँ
तो समझदारी का तोहफा मुबारक उन्हें
भूख प्यास , मोह जाल मुझ में भी है ये सब
मैं भी हूँ इंसान
पागल ही तो हूँ बस
नहीं मैं कोई बेईमान !!!!!!!!!!!!!!!
नीलम

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