वो उड़ चला देखो छोड़ अपना घरोंदा
एक बार भी न पलटा
न मुड़ कर देखा
न आएगा अब वो लौट के कभी
जानता है ये मन मेरा
फिर भी आँखें तरस रही देखने उसका चेहरा
बिन बताये मुझको क्यूँ तू चला गया ऐसे
इक बार जो कहता तू ....साथ मैं भी चलती तेरे
कैसा होगा कहाँ पे होगा
ये सोच सोच दिल घबराता
वो जो उड़ चला छोड़ देखो अपना घरोंदा
तेरे बिन अब सुना है मेरा ये जग सारा
खाली कमरें और दीवारे हैं
घर बचा न ये तेरा मेरा
तू था तो ज़िन्दगी रोज़ थी दिवाली
क्यूँ उड़ चला करके चारों ओर अँधियारा
अब न बचा है कोई घर न कोई घरोंदा !!!!!!!!!!! नीलम
एक बार भी न पलटा
न मुड़ कर देखा
न आएगा अब वो लौट के कभी
जानता है ये मन मेरा
फिर भी आँखें तरस रही देखने उसका चेहरा
बिन बताये मुझको क्यूँ तू चला गया ऐसे
इक बार जो कहता तू ....साथ मैं भी चलती तेरे
कैसा होगा कहाँ पे होगा
ये सोच सोच दिल घबराता
वो जो उड़ चला छोड़ देखो अपना घरोंदा
तेरे बिन अब सुना है मेरा ये जग सारा
खाली कमरें और दीवारे हैं
घर बचा न ये तेरा मेरा
तू था तो ज़िन्दगी रोज़ थी दिवाली
क्यूँ उड़ चला करके चारों ओर अँधियारा
अब न बचा है कोई घर न कोई घरोंदा !!!!!!!!!!! नीलम
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