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Sunday 6 September 2015

तेरा चातुर्य



तेरे ऐसा होने के कल्पना भी न की थी
तूने प्यार का अपने चातुर्य से जो प्रदर्शन किया था
आज किसी नाटक से कम नहीं लगता..................
मुझे जी भर के पा कर ,
तेरा जी इतनी जल्दी भर जाएगा
इसकी कल्पना भी न की थी ....................
तेरा ऐसा हो जाने की भी तो कल्पना न की थी
प्यार कुछ नहीं बस एक भ्रम है
समझा दिया तूने..........
सर्वस्व लुटा जो ...... आँखें मूँद..... तेरे पीछे चल पडी थी मैं
आज समझ आया ... तेरे उस चातुर्य का प्रदर्शन ,
तूने पा तो लिया इस देह को
और ........ जकड भी लिया मुझे अपने मोहजाल में
पर न पा पाया .......... मेरी आत्मा को
बंधी तो हूँ आज तुझसे
पर कोसों दूर हूँ तुझसे
तेरा होना ..... अब पल पल बताता है मुझे
तेरा फरेबी होना
तेरे ऐसे होने की तो कल्पना भी न की थी मैंने .........!!!!!!!
नीलम

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