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Friday 18 September 2015

अधूरा आसमां

अधूरी सी मैं आज भी यहीं खड़ी
आसमान को ताक रही हूँ
वो भी उतना ही खाली और अधूरा है जितनी मैं

तू साथ है पर फिर भी तू साथ नहीं
तू कहता है
तेरा दिल अब तेरा नहीं
मेरा है...फिर
क्यूँ तू मेरा  होता नहीं

बेवफा भी नहीं पर निभाइ वफाई भी नहीं
पर आज भी मैं हु अधूरी सी
तू होकर भी आज मुझ में नहीं

सुनो ऐसा है
तूने जो किया है
मेरे साथ
वो ऐसा है


जैसे अमावस की रात
चाँद का छुप जाना
और धीरे धीरे से फिर आ जाना
कभी अँधेरी रात
और कभी पूनम का चाँद बन जाना


 सजती मैं हूँ रोज़
खोजती भी तुझे मैं  रोज़.

कन्हैया
ऐसे तो न मीरा बना
राधा को भी छोड़ा अधूरा
अब मुझको तो यूँ न सता 

बस एक बार दिख जा तू
बस एक बार दिख जा तू
मुझको न ऐसे तड़पा तू  !!!!!!!!!!!!!!!!!!! नीलम !!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!


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