!!!!!!!!!!! देखा था फिर कल मैंने उसको
करीब से निकला था
मुस्कुराया और बढ़ गया
मैं सोचती रह गयी
उसके मुस्कुराने की वजह
रोज़ यूँ ही टकरा जाता था और मुस्कुरा आगे बढ़ जाता था
उसका यूँ रहस्यमयी सा आना और आगे बढ़ जाना
बना रहा था मुझको दीवाना
न बात न चीत न छेड़ना न कुछ कहना
बस वो तीरछी निगाहें और मुस्कुरा के आगे बढ़ जाना
काफी था उसका दिल को छु जाना
डर नहीं लगा कभी उस से
बल्कि सुरक्षित महसूस किया जब भी वो पास आया
भीड़ में भी उसकी निगाहें रखती थी ध्यान मेरा
न दीखता वो तो घबराता था मन मेरा
पर वो रोज़ यूँ ही टकरा जाता और मुस्कुरा आगे बढ़ जाता
न साथ रहने की कसमें थी न बंधन प्यार का
बस नज़रों का मिलना और धीरे से झुक जाना
जानती हूँ करता होगा आज भी वो इंतज़ार मेरा !!!!!!!!!!!!! नीलम
!!!!!!!!! इतनी न कर तारीफ़ मेरी की मैं खुद से ही शरमा जाऊं
कहीं ऐसा न हो की तुझसे खुल के गले भी न लग पाऊं !!!!!!!!!!!नीलम ....
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